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Amit Srivastava

Romance

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Amit Srivastava

Romance

तुम ......कौन हो

तुम ......कौन हो

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तुम कौन हो ,

जो सूखी गरम फिजाओं में 

किसी ठण्डी हवाओं के झोंके सा 

मुझे छूकर निकल जाती हो 

तुम कौन हो ,

जो अंधेरी रातों में 

पिघलती हुई चांदनी सी 

मेरे चारों तरफ फैल जाती हो,

जो हर रोज मेरे खाली पलकों पे 

एक नया सपना छोड़ जाती हो ,


तुम कौन हो ,

जो मुझे मेरे होने का 

एहसास दिला जाती हो ,

मेरे ज़िस्म को चीरती हुई 

मेरे रूह तक को छू जाती हो 

जो शब्दों के सीमाओं से परे 

खामोशी की जुबां कहती हो ,

जो हर रोज मेरे साथ ,

एक नया रिश्ता जोड़ लेती हो 


तुम कौन हो ,

जो मेरी टूटती हुई सांसों को

अपनी सांसों से जोड़ लेती हो 

मेरी बंद होती आँखों को 

एक नए जीवन का दर्पन दिखा देती हो 


तुम कौन हो ,

जो मुझे वापस ज़िन्दगी की तरफ 

खींच रही हो ,य़ा शायद 

मेरे साथ ही

इस जहां से उस जहाँ तक 

चल रही हो , 

तुम ......कौन हो।


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