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Aishani Aishani

Romance

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Aishani Aishani

Romance

तुम्हें लिखना चाहती हूँ..!

तुम्हें लिखना चाहती हूँ..!

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मैं तुम्हें लिखना चाहती हूँ

हर रोज़ थोड़ा थोड़ा

कुछ यूँ कि.. 

आहिस्ता आहिस्ता ख़ुद को

ही गढ़ रहा हो कोई

ख़ुद को अलग कर

किसी कैनवास पर;


कुछ यूँ कि... 

सबसे अलग एक नयी परिभाषा

लिख रहा हो कोई...। 

कुछ यूँ लिखना चाहती हूँ तुमको

मानो कुछ अलग नहीं

बस अपना ही कुछ अनदेखा सा हो...! 


मैं तुम्हें लिखना चाहती हूँ

पढ़ने के लिए सबके साथ

आहिस्ता आहिस्ता

तुम्हारे साथ रहने के लिए

मानो हम एक ही हैं अलग नहीं


मैं तुम्हें लिखना चाहती हूँ

क्योंकि... 

तुम्हें सोचना अच्छा लगता है

हाँ... 

मैं तुम्हें लिखना चाहती हूँ

हर रोज़ आहिस्ता आहिस्ता...!


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