प्रणय निवेदन
प्रणय निवेदन
छलकते प्यार को अपने लिए
देखा है आपकी आँखों मेें कभी
पुकारते हैं लब मेरे आपको
ढूूंढती है आँखें मेेेरी आपको तभी।।
मिलते थे राहों में रोज
आते जाते अजनबी की तरह
कहा आँखों ने आपकी
मुझे पल में कुछ अनकही
खोजती रही हैं ये भी मुझे
हर जन्म में हरपल छोङ कर सभी।।
न कह आँँखों से जुबां से कहिए
बातेें कहने की दिल मेें रख
अब बस कोई दर्द न सहिए
मैने तो अपनी कह है रखी
कह आप भी चैन पा लेें अभी।।
आगोश मेें सिमट बस प्यार दिजिए
खङे हैं ख्वाब में कब से आप मेरे भी
ऐ खुुदा मेरे मुझे उनमें घोल दे
खत्म कर अस्तित्व मेरा सभी।।
छलकते प्यार को अपने लिए
देखा है सजन आपकी आँखो में अभी।।

