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सागर जी

Romance

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सागर जी

Romance

तेरे नाम

तेरे नाम

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आज फिर चली, मेरी प्रीत 

तेरी राहों के भूल - भुलैया पर।

जिन पर चलकर अक्सर, 

कभी टकरा जाती थी अपनी नज़र।।


मैं, नैन बिछाए बैठा रहता था, 

तेरी राहों पर।

तेरे आने पर, मिला न पता था, 

तुझसे नज़र।।


कुछ कहते - कहते, 

रुक सा जाता था मैं।

तुझे देखकर तो, सबकुछ 

भूल सा जाता था मैं।।


तेरे इंतज़ार की घड़ियां, 

जाने क्यों अच्छी सी लगती थी।

तेरे लिए मन में जो 

लगन थी, वो सच्ची सी लगती थी।।


काश के फिर से बस 

जाती, वो ज़िंदगी की हंसी शाम।

ज़िंदगी का जब हर पल, 

गुज़ारा मैने तेरे नाम।।


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