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SHREYA BADGE

Romance

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SHREYA BADGE

Romance

खोज लो...

खोज लो...

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खुद को ढूंढ लूँ काश कभी यूँ ही चलते - चलते

कई सवालों के जबाब ढूंढ लूँ शायद कभी शाम ढलते - ढलते... 


कभी मिल जाए काश जो छूट गई है मंजिल मिलते - मिलते

पूरा हो जाए शायद वो ख्वाब जो टूट गया था मुकम्मल होते- होते... 


इसी आस में आज तक खुद को रोक रखा है

शायद मेरा नाम भी आ जाए उनके लबों पर ज़िक्र करते- करते...



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