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SHREYA BADGE

Romance Tragedy Fantasy

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SHREYA BADGE

Romance Tragedy Fantasy

क्या क्या लिखूं...

क्या क्या लिखूं...

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कुछ लिखने चला था तुम पर,

और तय किया कि तुम्हें गुलाब लिखूँ...


फिर सोचा गुलाब को तो काँटे घेर लेते हैं,

मैंने विचार बदला सोचा तो मैं चांद लिखता हूं,

फिर ख्याल है आया कि तुम्हें तारे घेर लेंगे 

या तुम पर ग्रहण लग जाएगा,

यही सोच कर मैंने विचार बदल दिया,

फिर सोचा तुम्हें परी लिखूँ...


लेकिन यह सोचकर घबरा गया कि तुम परी धर्म निभाओगी, 

और आसमान में उड़ जाओगी इसलिए वह विचार भी छोड़ दिया,

फिर सोचा तुम्हें फूलों की रानी लिखूँ...


लेकिन पतझड़ के नाम से घबरा गया फिर सोचा तुम्हें चांदनी लिखूंगा,

लेकिन चांदनी बिना चांद के संभव नहीं इसलिए वह विचार भी छोड़ दिया,

फिर सोचा तुम्हें कविता लिखूँ या गजल लिखूं...


लेकिन तुम्हें हर कोई गाएगा,

यह सोच कर यह विचार भी त्याग दिया, 

और अंत में तुम्हारे चेहरे पर जाकर मेरी नजर टिक गई,

फिर मैंने उस कोरे काग़ज़ पर सिर्फ तुम लिख दिया...


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