दुआ कबूल होती..
दुआ कबूल होती..
काश खुदा से भी कभी कोई भूल होती.....
हमारी भी एक दुआ बिना इबादत के कबूल होती....
हम करते कोई गुनाह और खुदा के घर वो भूल होती....
काश एक दुआ बिना इबादत के कबूल होती....
गुनाह में हम इश्क़ करते.... इश्क़ में खुद को ही बर्बाद करते....
लेकिन ख़ुद के दर पर फिर भी आबाद होते....
काश एक दुआ बिना इबादत के कबूल होती....
