चुना मैंने..
चुना मैंने..
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बेहिसाब बोलने के बाद,
अंततः खामोशी चुनी मैंने।
ताउम्र महफिलों में रही,
अंततः तन्हाई चुनी मैंने।
रंगों की बेहद शौकीन थी,
अंततः शांत सा रंग धारण किया मैंने।
उन्मुक्त अंबर पसंद था मुझे,
अंततः खामोश धरा को चुना मैंने।
ताउम्र प्रेम की उत्कठ इच्छा रही,
अंततः वैराग्य चुना मैंने।
सभी रसों से होते हुए,
अंततः निर्वेद चुना मैंने।
सोचती थी कुछ तो ज्ञात है
अंततः सब अज्ञात रहा मेरे लिए।
