'मैं खाने पीने का शौक़ीन, अदरक की तरह फैल गया, शरीर L से XXXL, और कमर का कमरा बन गया। कोमेडी कविता 'मैं खाने पीने का शौक़ीन, अदरक की तरह फैल गया, शरीर L से XXXL, और कमर का कमरा बन...
चाहते नहीं तुम कि हम साथ हों तुम्हारा हमसफ़र बदलना अभी बाकी है चाहते नहीं तुम कि हम साथ हों तुम्हारा हमसफ़र बदलना अभी बाकी है
किसी को फ़िक्र धंधे की, कोई शौकीन पूरा है । किसी को ऐसा लगता है, वो घर में भी अधूरा है किसी को फ़िक्र धंधे की, कोई शौकीन पूरा है । किसी को ऐसा लगता है, वो घर में भी...