गीत : जनाजे के लिए कंधे , कोई बस चार कर लेना
गीत : जनाजे के लिए कंधे , कोई बस चार कर लेना
ये जीवन नश्वर है। कल किसने देखा है। इसलिए लालच, ईर्ष्या, द्वेष, अहम् को छोड़ो
और बस प्रेम करो। सबसे, ईश्वर से। इसी पर एक गीत प्रस्तुत है।
अगर जिंदा रहोगे तो, फिर बाकी काम कर लेना ।
किसी की यादों में रहना, वहीं मुकाम कर लेना ।।
ना ऊधो का है कुछ लेना, ना माधो को है कुछ देना
जनाजे के लिए कंधे, कोई बस चार कर लेना ।।
किसी को फ़िक्र धंधे की, कोई शौकीन पूरा है ।
किसी को ऐसा लगता है, वो घर में भी अधूरा है ।
ठसक छोड़ो चलो घर को, वहां आराम कर लेना
जनाजे के लिए कंधे, कोई बस चार कर लेना।।
बड़े ज्ञानी हो तुम माना, जो दिन भर ज्ञान पिलाते हो
कभी टिकटाॅक कभी फेसबुक पे, वीडियो तुम बनाते हो ।
संदेशों पर कभी खुद भी, अमल थोड़ा सा कर लेना ।
जनाजे के लिए कंधे, कोई बस चार कर लेना ।।
सुनो भैया, सुनो भाभी, कहा इतना सा मानो तुम ।
आत्मा अमर बदन नश्वर, इस सत्य को पहचानो तुम
थोड़ी पूजा, थोड़ी मस्ती, थोड़ा रोमांस कर लेना ।
जनाजे के लिए कंधे, कोई बस चार कर लेना ।।
