SHREYA BADGE
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कभी-कभी सोचती हूं...
शायद कुछ कहानियां
अधूरी ही लिखी जाती हैं !
तुम्हारा मेरी जिंदगी में इतना करीब आकर
दूर चले जाना......!
अभी भी बहुत अखरता है।
कभी मुकम्मल मिले ही नहीं हम..
तो मुकम्मल बिछड़ना आसान कैसे हो सकता है ?
ज़ख्म गहरे कर...
बकवास किया
जायेंगे.
दुआ कबूल होती...
बेटियो का संघ...
गुजर गया..
हो सकता है..
तलबगार हो गए....
क्या क्या लिख...
चुना मैंने..