बकवास किया
बकवास किया
कुछ अपनो के... कुछ सपनों के
बीच में उलझ से गए हैं...
उलझने जिंदगी जीने का सबब
बन गई है....उलझनों में खुद खो से गए हैं हम
एक धागे की तरह सोचा था कि
सब कुछ समेट कर रखेंगे
पर कुछ रिश्तो में... कुछ गाठ क्या आई
खुद में ही उलझ से गए हैं हम...
उलझे इस कदर कि... हर एक ने नज़रंदाज किया हैं
अब तो बस खुद की ही समझ में आते हैं
बाकी तो कहते हैं क्या बकवास किया है.....

