इश्क का दीवाना
इश्क का दीवाना
मैं मस्त फ़कीरा बन बैठा
दिल अपना तुझको दे बैठा
जिस मोड़ पे मिलते दिलवाले
उस मोड़ पर जाकर के बैठा
फकीरा तेरे इश्क़ का
फकीरा तेरे इश्क़ का
मैं तेरे खुदा से क्या माँगू
तेरा खुदा तो बहरा है
तू कह दे अपने खुदा से
इश्क समन्दर गहरा है
जिस मोड़ पर तोड़े थे सपने
जिस हाथ को छोड़े थे अपने
फिर उसी मोड़ पर जा बैठा
मैं मस्त फकीरा बन बैठा।

