तुम रूठी हो
तुम रूठी हो
जब - जब तुम, किसी बात पर रूठी हो,
मुझे लगा कि, हर बात पर रूठी हो ।
जब - जब मैंने मनाया, तुम ना मानी हो,
मेरे दिल पर क्या बीती, कभी ना जानी हो।
जब - जब मैंने तुम्हारा दिल दुखाया,
इस बात का मुझे अहसास हुआ ।
मैंने छोड़ दिया बात को पर,
तेरे रूठने का दर्द, मुझे न छोड़ पाया।
मेरा दिल भी, तुम्हारी तरह नाज़ुक है,
तुम्हारे दर्द की, मुझे भी जानम कसक है।
मान जाओ यार, छोड़ो गुस्सा, करो प्यार,
मुझे पता है, तुम बिन अधूरा मेरा संसार।।