तेरे सिवा
तेरे सिवा
तेरे सिवा मेरा कोई महबूब नहीं,
तेरे बिना मेरा कोई वजूद नहीं,
तेरे ही दिल से धड़कती है मेरी,धड़कन,
तेरे ही सांसों से लरजती है मेरी सांसें।
तेरे इश्क का मैं हो गया मुरीद,
तेरे साए सा मैं रहता हु करीब,
तेरे नजरों में ना देख सकता रकीब,
तेरे हुस्न का मैं दीवाना हूं गरीब।

