भाग्य
भाग्य
तुम मेरे भाग्य में नहीं हो
पर अहसास में हो
जीवन के विस्तार में न सही
पर दिल के छोटे से भाग में हो
हाथ की लकीरों में नहीं हो
पर आंखों में बस चुकी हो
कहीं भी नहीं पर
बातों के संदर्भ में हो
क्या फर्क पड़ता हैं
यदि भाग्य में नहीं हो
इतना ही काफी हैं कि
तुम मेरी अंतरात्मा में हो ..

