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Kavita Sharrma

Romance

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Kavita Sharrma

Romance

चांदनी रात

चांदनी रात

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आकाश में चांद सौंदर्य बरसा रहा

धरती को चांदनी से भिगा रहा है

मंद मंद शीतल बयार बहने लगी है

मन की वेदना कुछ कहने लगी है

प्रकृति है निस्तब्ध पर है कार्य रत

ऐसे में नौका विहार का है बड़ा आनंद

वृक्ष भी पुलकित हो मानो झूम रहें हैं

झुकी हुई डालियां भी मानो कुछ कह रही हैं

ऐसे में प्रिय का साथ हो, हाथों में उसका हाथ हो

विरह का दुःख अब समाप्त हो बस हमदम का साथ हो।  



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