फिक्स्ड डिपॉजिट वाली बातें
फिक्स्ड डिपॉजिट वाली बातें
चाय के साथ पकौड़ों वाली वह शाम....
दिन भर की बातों के साथ....
बातें भी कैसी?
रोजमर्रा वाली बातें...
जिसमें शामिल रहता है आस पड़ोस...
फैशन...टीवी सीरियल...और बच्चें भी...
कभी मुझे लगता है कि बातों का भी
जैसे कोई अकाउंट होता है...
बैंक वाला कोई अकाउंट....
डेबिट और क्रेडिट वाला अकाउंट...
जिसमे रोज़ की बातें करंट अकाउंट ही डील करे...
कुछ बातों के लिए मुझे लगता है कि फिक्स्ड डिपॉजिट वाली कोई स्कीम हो..
जिसमे सिर्फ़ मैं मेरे मन की बातों को ही रख सकूँ ...
जो मैच्युरिटी होने पर मुझे कुछ संजीदा यादों का इंटरेस्ट दे...
उस इंटरेस्ट में शामिल होगी मेरी कुछ हसीन यादें...
हम दोनों की वे फूलों वाली यादें...
और बरसात की टिप टिप बूंदों वाली ढेर सी बातों की यादें ...
उस हसीन उम्र की तेरी मेरी बातों वाली यादें....
और उलझन की कुछ यादों के अहसास भी...
उम्र के इस पड़ाव पर वे यादें मुझे और संजीदा कर देगी...
उन संजीदा यादों का इंटरेस्ट शायद मेरी जिंदगी में कुछ इंटरेस्ट ही घोल देगा...
यूँ ही नहीं कहते कि ब्याज़ मूल से ज्यादा प्यारा लगता है...

