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Nitin Parashar

Romance

4  

Nitin Parashar

Romance

मैं हूँ वहीं

मैं हूँ वहीं

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हाँ मैं हूँ वहीं

जहाँ मेरी जिंदगी के हसीन लम्हे कैद थे।

हाँ मैं हू वहीं

जहाँ सपने मेरे अपने थे न ही किसी गैर के।


मैं हूँ वहीं

जहाँ ठहर गया तेरा साया हमेशा के लिए।

मैं हूँ वहीं

जहाँ बनाता चला गया मैं तेरा चेहरा उस साए में

मेरे लिए।

मैं हूँ वहीं

जहाँ तेरी आवाज की खनक मौजूद है।

  

मैं हूँ वहीं

जिस आवाज से नाम पुकारने के बाद मेरा कोई वजूद है।

मैं हूँ वहीं

जहाँ थामा था हाथ तूने मेरा हमेशा का वादा करके।


मैं हूँ वहीं

जब कर दिया था अपना सबकुछ मैंने नाम तेरे।

मैं हूँ वहीं

जब गुजारा था वो पल तेरे हुस्न की तारीफ करते हुए।


मैं हूँ वहीं

जब टूटा था मैं तेरे सामने अपनी मोहब्बत के लिए लड़ते हुए।


मैं हूँ वहीं

जहाँ समेटे थे मैंने अपने बिखरे टुकड़े हजारों आंसू बहाने के बाद।

 मैं हूँ वहीं

जहाँ गवाई थी मैंने अपनी जिंदगी और तेरा कभी ना छूटने वाला साथ।


मैं चाहूँगा यही

जिंदगी के पूरे सफर में रहे यह कुछ पलों की याद।

मैं रहूंगा वहीं जहाँ

आज भी बसता है मेरा और सिर्फ मेरा

वो एकतरफा प्यार।


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