तेरे नाम की शमा जला ली
तेरे नाम की शमा जला ली
अमावस की हर रात को, मैनें पूनम सी बना ली,
जबसे मेरे दिल ने, तेरे नाम की शमा जला ली।
जलते ही शमा जहन में, दर्द बढ़ता चला गया,
उस दर्द को ही फिर मैने अपनी दवा बना ली।
अमावस की हर रात को मैनें पूनम सी बना ली।
इतना आसान कहां इश्क–ए– मोहब्बत को पाना,
तड़पता दिल तो हर पल ढूंढता
तुझसे मिलने का बस एक बहाना ,
तेरा दीदार हो ना हो
हर बहाने में ही मैनें ,
तेरे अक्स की एक तस्वीर बना ली।
अमावस की हर रात को मैनें पूनम सी बना ली।
उम्मीद की चादर ओढ़े,ख्वाबों के दिए जलें।
बंद पलकों में,यादों की गलियों में,
लग जाता बाबरा मन, बस तुझसे ही गले।
पलकों के खुलते ही, सांसो की लहरों ने,
फिर से धड़कनों से बगावत कर ली।
अमावस की हर रात को मैनें पूनम सी बना ली।
जब रूबरू हुई तो एहसास हुआ,
छुप छुप के महबूब ने, मेरा भी था दीदार किया,
इस दीदार को ही मैने अपनी तकदीर बना ली
अमावस की हर रात को, मैनें पूनम सी बना ली।

