सर्दी की बरसात
सर्दी की बरसात


नींद नहीं नयनों में सपने छल -छल जाते हैं ,
सर्दी की बरसातों में वो याद हमें बहुत आते हैं ,
ठंड भरी रातों में जब जब याद उनकी आती है ,
पलकों में रहकर भी वो जाने कहाँ छिप जाते हैं ,
हर गिरती हुई बूंदों में अहसास उनका रहता है,
दूर होकर मिलन की आस जाने क्यों जगाते हैं ,
सर्दी की बरसातों में वो याद हमें बहुत आते हैं II
मुख को जब चूमती ठंडी ठंडी बूंदें होकर विह्वल,
स्पर्श से जीवन में मेरे एक हलचल सी कर जाते हैं,
थोड़ी सी गरमाहट मिल जाए बस इन बरसातों में ,
वरना सर्दी की बरसात से कोमल फूल भी सकुचा
ते हैं
नयनों की खिड़की से जब भी मैंने झाँका उनको ,
वो सिमटे हुए अपने ही बातों से जाने क्यों घबराते हैं ,
सर्दी की उन बरसातों में वो याद हमें बहुत आते हैं II
जैसे लग रहा घिर आया सावन इन बरसातों में ,
हर एक बूंदों से आज एक नया संगीत वो बनाते हैं,
बूंदों की झिलमिल लड़ियों सी धरती पर जब बरसती ,
बाहों में बाहें डालकर हम तो अपना ही राग सुनाते हैं,
ठिठुरन बढ़ती जा रही बाहर कोई नजर ना आता है ,
मंद –मंद सी बहती हुई हवा मौसम में करवट लाते हैं,
सर्दी की उन बरसातों में वो याद हमें बहुत आते हैं II