लड़की: एक प्रेम भावना
लड़की: एक प्रेम भावना
किया था पसंद उसने उसे एक तरफा,
सोच लिया खुद ही हक है पूरा उसका,
खुद की खुदगर्जी ना सोचा भावना उसका,
हर घड़ी आहत करता खेलता भावनाओं से
उसका।
इजहार करता प्यार का समझता खैरात है उसका,
ना सोचता लड़का लड़की के प्रेम भावना,
ना करें स्वीकार अगर तो देते धमकी जान लेने का,
सरे आम तेजाब से नष्ट करता चेहरा उसका।
ना है कि घर में भी है उसके एक लड़की,
करता अगर कोई बात भी उसके घर की लड़की से,
अपने यारों की टोली ले उसको अस्पताल पहुंचाने
पहुंचता,
फिर अगले ही पल बाईक पर सवार खड़े मिलते
लड़की के पास।
डर से कर लेती स्वीकार अगर आबरू से
खेलता उसका,
तार तार दाग दाग करता उसे यारों के सरे आम,
लड़की नहीं उसे मनोरंजन का खिलौना समझता,
प्यार लड़के को ही नहीं लड़की को भी है होता,
इश्क हुआ हो तुझे पर ख्याल कर उसे भी किसी से
इश्क हुआ होगा।
किया था पसंद उसने उसे एक तरफा।
सोच लिया खुद ही हक है पूरा उसका।।

