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Ravindra Shrivastava Deepak

Romance

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Ravindra Shrivastava Deepak

Romance

दिल है तुम्हारा..

दिल है तुम्हारा..

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बेख़याली में अक्सर, 

उनका ख़्याल आता है,


जब आता है, कमाल आता है,

सर्द मौसम, धीमी-धीमी,


सरसराहट सी हवाएं,चलती है तो, 

दुपट्टा हवाओं से बातें करती है,


उनकी भीनी-भीनी खुश्बू,

हवाओं को मदहोश करती है,


दिशाएं अपनी राहें भूल जाती है,

सूरज अपनी दिशा भूल जाता है,


फूलों को ईर्ष्या होती है, उन्हें देखकर,

उनकी अदाएं, उनकी लचक देख,


फूलों की टहनियां भी शरमा जाती है,

कुदरत का करिश्मा है,


या है कोई स्वर्ग की अप्सरा,

चाँद अपनी शीतलता नाम करता है,


तारे भी सामनें अर्ज करतें है,

नदियों की धाराएं भी जैसे थम गई हो,


उनकी एक छूअन से लहरें रोमांचित है,

जानें ये कैसी बला उतरी है धरती पर,


जिसने सबके दिल को कैद किया है!



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