स्वर्णपदक विजेता : नीरज चोपड़ा
स्वर्णपदक विजेता : नीरज चोपड़ा
अम्बर का सीना फाड़ दिया,
नभ पर झंडा गाड़ दिया,
राणा के शौर्यपुत्र वंशज ने,
लक्ष्य पे भाला मार दिया,
शौर्यवान ने पवन को साध लिया,
तूफ़ानों को भी बांध दिया,
चला भाला तीव्र वेग से,
असंभव को भी गाथ दिया,
वर्षो की थी तपस्या जिसके लिए,
वो आज सम्पूर्ण हुआ है,
भारतवर्ष के सूर्य की चमक से,
पूरा विश्व कांतिमय हुआ है,
विकट परिस्थितियों में भी,
जिसने गर्वित हमें कराया है,
खुद स्वर्णयुग बन वो शौर्यपुत्र,
इतिहास में स्वर्णिम बन समाया है,
जय हो शौर्यपुत्र, जय हो वीरपुत्र,
कालखंड में दर्ज तुम्हारा नाम हुआ,
जो थी कमी स्वर्ण की भारत को,
आज विजयदिवस को तमाम हुआ,
मस्तक ऊँचा हुआ हर हिंदुस्तानी का,
हम गर्वित हुए, हर्षित हुए,
इस क्षण के कारण तुम हो,
हृदय से तुम्हारी अनंत जय हो।