दिल की ख़्वाहिशें
दिल की ख़्वाहिशें
आज फिर चाहतों के समंदर में आया उबाल है,
देखी नहीं तेरी सूरत पर दिल में तेरा ही ख़याल है ।
ख्वाबों ख़यालो में सजाई है तेरी मूरत,
तो क्या जो दीदार नहीं, दिल ने बनाई है तेरी सूरत।
हर लम्हा हर घड़ी इक फ़िक्र सी रहती है,
जुबां तो नहीं पर आँखें ज़िक्र करती हैं ।
चंद अल्फ़ाज़ कभी-कभी बहुत कुछ कह जाते हैं
वक्त तो गुज़र जाता है पर उनके निशां रह जाते हैं ।
वो सादगी वो नज़ाकत कभी भूल न पाएँगे,
रूह-ए-उल्फ़त की तस्वीर को मिल के सजाएंगें।
बड़ा खूबसूरत होगा वो मंज़र जब होंगी अपनी बातें,
होगी क़ूबूल हर दुआ और रंग लाएंगे मुलाक़ाते
जिन्दगी का है बस इतना सा फलसफा,
एक मुसकुराने से हो जाते सारे ग़म दफा।

