STORYMIRROR

Bijal Jagad

Romance

3  

Bijal Jagad

Romance

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

1 min
249

एक सपने का टुकड़ा जोड़कर,

मैंने जिन्दगी से इश्क किया था।


चांद सूरज होठों मै दबाके

इश्क को बयां किया था ।

कोई सबब ऐसा दो या रब

वजह बेगानगी नहीं मालूम था।


कहुँ तो क्या कहूं अब आज

हिज़्र के मारे, कहना मुश्किल था।


आंखों में बसर सारी जिंदगानी ,

जर्रे जर्रे में खुद को जोड़ रखा था।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance