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Bijal Jagad

Abstract Others

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Bijal Jagad

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बादल

बादल

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आंखों आंखों में होती लड़ाई सामने बादल घने खड़े थे,

कई सपनों का बीज बोया, कई मौसम से हम लड़े थे।


मेरा लफ़्ज़ लफ़्ज़ हो आईना, मेरा दर्द वफा करता है,

समंदर मेरे आंखों से बहे, सामने बादल घने खड़े थे ।


वो एक खयाल जो आवाज तक कभी गया ही नहीं, 

कोई राज़ हो जैसे इसमें दफन, सामने बादल घने खड़े थे।


दफन राज़ बादलों की गुफा में, एक उम्मीद की किरण हो जैसे,

हम विदुर से हो गए, सामने बादल खाली ही खाली खड़े है । 



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