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Bindiya rani Thakur

Romance

3  

Bindiya rani Thakur

Romance

क्या तुम भी यही सोचते हो!

क्या तुम भी यही सोचते हो!

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अक्सर अकेले में ,मैं सोचती हूँ 

आखिर क्यों तुम्हें इतना चाहती हूँ 


दिल में तुम्हारी सूरत बस गई है

रातों को नींद भी नहीं आती है 


उन आँखों ने क्या जादू कर दिया है 

उठते- बैठते हमें वही नज़र आते हैं 

 

अरमान दबे पाँव दस्तक दे जाते हैं 

मेरे लब बेवजह ही मुस्कुराते हैं 


किसी को इतना प्यार करना गलत तो नहीं है

जुदाई के डर से हम तो थर-थर काँप जाते हैं 




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