इंसाफ किया जाए
इंसाफ किया जाए
एक रोज नजरें मिली थीं उससे
तबसे हर रोज घायल हुआ करते हैं
पहले तो सिर्फ शक हुआ था हमें पर
अब यकीनन उससे इश्क करते हैं
अगर वह प्यार करती है तो
प्यार को छुपाना सही नहीं है और
अगर प्यार नहीं भी करती है तो
मुझे अदाओं में फसाना सही नहीं है
जुर्म सब उसकी नजरों का था पर
सजा तो मेरे दिल को दिया गया
मुझे लगता है कि ये गलत है यारों
मेरे साथ इंसाफ नहीं किया गया
सुना है खुदा है इंसाफ करता है तो
क्यों ना खुदा को ही बुलाया जाए
या तो मेरा प्यार कबूल कर ले या फिर
मेरे दिल से उसकी यादों को मिटाया जाए!

