याद आया तेरा प्यार
याद आया तेरा प्यार
याद आया तेरा प्यार
जब दिख गया किताब में
फिर इक दिन छिपा गुलाब।।
बिखर गयीं हैं
सभी पंखुड़ियां सूखकर
जैसे बिखर गये थे
कभी हमारे ख्वाब।।
खुश्बू भी हो गयी है कम
पास लाना पड़ा अहसा़स के लिए
जैसे गुम हो गयी महक
रिश्ते की हमारे समय के साथ।।
ये सिर्फ है इक गुलाब पर..
जुड़ा था अतीत का हर राग ।
इसके साथ गाया था
कभी हमने हाथ में ले हाथ।।
हजार-हजारों कस्मे-बादे
हजारों हजार मनुहार-तकरार।
एक के बाद एक निकल आये कोटर से
जैसे नन्हें चूजे चाहते फुदकना खुले हवादार।।
इक पल में ही जैसे सिमट आ गया
बिछड़ गया था समय की धारा में
मेरा तुम्हारा हमारा निश्छल प्यार।।
नहीं कर पाये सामना अपनों का
ना दुखा पाये दिल अपने रिश्तों का।
अपनों से अपना ही अन्तर्द्वन्द।।
वो रिश्ता था मास-मज्जा
और खून से बना
छोड़ दिया सब नहीं रख पाये नींव
उनके सपनों को तोड़कर
अपने ख्वाबों की।।
और कह दिया अलविदा
एक-दूसरे को सदा के लिए।
कहां होओगे नहीं पता पर है यही दुआ
जहां भी होओ सुखी होओ।।
अफसोस ना हो बिछुड़ने का कभी
किताब के पन्नों में
संभाल रखा गुलाब जैसे
वैसे ही यादों को सहेज रखा
दिल के किसी कोने में आज तक मैनें।।

