जुदाई का मज़मा
जुदाई का मज़मा
तू मेरी ज़िन्दगी का बेहद खूबसूरत हिस्सा है,
तेरी ही परवाह रहती है, ये दिलचस्प किस्सा है!
इक दूजे से जुदा हो के अब हमसे रहा न जायेगा,
जुदाई का यह मज़मा अब किसी से देखा न जायेगा!
पहले से ही बहुत सारे झमेले हैं हमारी जिंदगी में,
अब अंत समय जुदाई का गम हमसे सहा न जायेगा!
तुम जो बात बात पे कह देती हो ये मैं चली मैं चली,
यह जानती तो हो कि तेरे बिन एक पग चला न जायेगा!
अपने समर्पण और निस्वार्थ प्रेम से जीत चुकी हो मुझे,
उम्र के इस दौर में अब मेरे हिस्से का प्रेम मेरा हृदय दर्शाएगा!