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Neeraj pal

Romance

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Neeraj pal

Romance

गज़ल।

गज़ल।

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मुश्किल घड़ी में जिसने मुझको राह है दिखलाई

हम-दम बनकर तुमने ही चाहत है सिखलाई


क्या नाम दूँ तुम्हारी इस बेपनाह मोहब्बत को

सूना पड़ा था यह जीवन जिस में रौनक तुम लाई


कोई मकसद न था जीवन का दर-दर ठोकर है खाई

जब थामा है दामन तुमने जीने की हसरत है आई


प्यार से जो तुमने दुखते दिल में मरहम है लगाई

सुकूँ मिला तब जाकर मोहब्बत जो तुमसे है पाई


जब पास नहीं पाता हूं तुमको कैसी है यह जुदाई

यादों के सहारे कब तलक जीना कैसी है यह रुसवाई


मोहब्बत का पाठ जो पढ़ाया तुमने भूल गया अपने को

मत दूर जाना अब मुझसे प्रेम की अलख है जो जगाई


जीने की तुम वजह हो मरने की कोई फिक्र नहीं

तुमको पाकर "नीरज" ने जाना मोहब्बत ही है खुदाई।।


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