फ़रमाइश
फ़रमाइश
तुमसे क्या शिक़वा करें
किस बात का शिक़वा करें
तुम हमारे नही हुए तो क्या ?
तुम अब अपने भी कहाँ रहे ?
यह दस्तूर है जहाँ का जो
बदस्तूर ही चला आ रहा है
जो हमें आज़मा रहा है
उसे वक़्त आज़मा रहा है
खुदाया ख़ैर करे फिर भी तुम पर
हम तो सिमट कर रह गये
बस तुम्हारी मुस्कुराहट पर
और सब्र भी कर लिया दिल ने
तुम्हारी खुशी की ख़ातिर
काश! तुमने भी कहीं तो
कुछ सब्र कर लिया होता
फिर यह न हुआ होता
इश्क़ की यह अदा भी बहुत खूब
दिल जिस पर मनसूब है
वो किसी और का महबूब है
अनगिनत सितारों को
चाँद की ही ख़्वाहिश है
कोई चाँद से भी पूछे
उसकी क्या फ़रमाइश है.