तू ही बता
तू ही बता
क्यों हर समय यादें तेरी आती हमें तू ही बता।
सोता हूँ तो सपने तेरे मुझको दिखें तू ही बता।
सीने में हैं तूफाँ बहुत दिल है मगर खाली मेरा।
हाल-ए-जिगर जाने न तू कैसे कहें तू ही बता।
तेरे सिवा चाहा नहीं मैंने किसी भी और को।
रहना नहीं तेरे बिना कैसे जियें तू ही बता।
है मतलबी सारा जहाँ सोचा कि तुम होगी जुदा।
तू भी मगर खुदगर्ज है क्या हम करें तू ही बता।
छोटी सी थी मेरी खता ये बात है तुझको पता।
इतनी बड़ी दी है सजा कैसे सहें तू ही बता।
अक्सर मुझे ऐसा लगे हो पास तुम अब भी मेरे।
मन में बसी यादें तेरी कैसे मिटें तू ही बता।
अपना यहाँ सब खो गया कुछ भी नहीं बाकी बचा।
टूटे हुये रिश्ते हैं ये कैसे जुड़ें तू ही बता।
अब ना मिलें हम फिर कभी क्या है यही तेरी रज़ा।
कहती है क्या तेरी नज़र कैसे पढ़ें तू ही बता।
चाहूँ नहीं अपने ग़मों को इस जहाँ से बाँटना।
आँखों में हैं आँसू बहुत कैसे बहें तू ही बता।
फ़िरदौस की ख्वाहिश नहीं तेरा अगर दीदार हो।
दिल में सजे सपने तेरे कैसे हटें तू ही बता।
बन के ग़ज़ल मेरे लबों पे आज फिर हो सज गयी।
तेरे सिवा कुछ और हम कैसे लिखें तू ही बता।