एहसास के फूलों के बीज
एहसास के फूलों के बीज
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काश! मेरी कविताओं की डाली
पर जो एहसास के फूल
खिलते है,, उनके बीज
बिखर जाए,, कोरे सफहो सी जमीं पर..
और पनप जाए एक नई कोपल
नई कविता की,,
जिसकी तरुणाई की छाया तले..
फिर कोई लेखनी का पथिक..
प्राप्त कर सके बौद्ध ज्ञान..
जिसके झरते नये फूलों को..
चुन कर कोई मीरा पूजा करे..
मनाये अपने श्याम!!
जिसकी खुश्बू से उपजने लगे स्नेह
हर अवसाद से गुजरते अंतर्मन में..
जिसकी शब्दों की जड़े बांध ले..
उखड़ के भटकते मन को...
मेरी कविताओं की डाली पर लगे
एहसास के फूल हो जाए यूँ अमर!!