सीता की अग्निपरीक्षा
सीता की अग्निपरीक्षा
बराबरी के लिए, आज भी
स्त्री होने का कर चुका रही है
उस युग से इस युग में भी
सीता अग्निपरीक्षा दे रही है
गृहस्थी से ले कर बाहर भी
पौरुष सत्ता उसे आज़मा रही है
उस युग से इस युग में भी
सीता अग्निपरीक्षा दे रही है
देह के पैमाने, नज़रों के खाने भी
नापी तो कभी तौली जा रही है
उस युग से इस युग में भी
सीता अग्निपरीक्षा दे रही है!
लिंग जांच छुपके,,भ्रूण हत्या भी,,
जन्म के बाद उत्सर्ग गंगा तीर बहाई जा रही है
उस युग से इस युग में भी,,
सीता अग्निपरीक्षा दे रही है!
सिद्ध हुआ है,हुआ प्रसिद्ध भी
साबित हर क्षेत्र में खुद को कर रही है
उस युग से इस युग में भी
सीता की अग्निपरीक्षा निरंतर चल रही है !