स्त्री पुरुष जैसे दो ध्रुव
स्त्री पुरुष जैसे दो ध्रुव
ना मेल खाते मन..
ना मेल खाते तन,,.
पसंद नापसंद भी अलग अलग..
भावनात्मकता का स्तर भी विलग,
जैसे पूरब पश्चिम,, जैसे ध्रुव उत्तर दक्षिण..
हाँ! सच कहा तुम मैं पुरुष स्त्री से पहले
ध्रुव है उत्तर दक्षिण,, जो विपरीत है तभी
समीप है.. विज्ञान ने सिद्ध किया है!
यहीं तो प्रकृति है, यही भेद भी,
धरा का वजूद इसी विपरीताकर्षण पर टिका है,
अब बस हमें मानना बाकी है.,, जानते तो
हम सभ्यताओं से है! है ना..
स्त्री पुरुष विपरीत हो सकते विरोधी नहीं,,
और ज़ब ज़ब विरोधी हुए है जीवन की लय
बिगड़ जाती है,, दूरियां पसर जाती हैं।