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Navni Chauhan

Romance Others

4  

Navni Chauhan

Romance Others

जज़्बात

जज़्बात

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जज़्बात,

जब भी किए ज़ाहिर ,

हर दफा चोटिल हुआ हृदय,

हर बार ये आंखें भर आईं,

हर बार इन लबों को मैं सी आई,

मैंने

अथाह वेदना पाई।


उसे देख अपने होंठों पे,

ये झूठी मुस्कान थी लाई,

उसकी खुशी की खातिर

ही तो,

उस से दूरी बनाई।


उसका प्रेम प्रस्ताव

सहर्ष किया था स्वीकार,

उसके सदके में

ये दिल गई थी हार,

उसके जाने से

दिल के आशियाने को

वीरान कर आई,

उसकी खुशी की खातिर,

उसको अकेला छोड़ आई।


मैं प्यार के काबिल ही न थी शायद,

तभी तो हर मर्तबा

तकदीर में दर्द लिख आई,

प्रेम की हर सीढ़ी चढ़ते,

मेरे पांव ज़ख्मी कर आई,

आज फिर इस दिल को

गहरा घात लगा आई।


अपने दिल के परिंदे को हम

जंजीरों में जकड़ लेंगे,

उड़ते ख्वाबों के पतंगों की

डोर झटक देंगे,

सपनों का दायरा थोड़ा 

छोटा कर देंगे,

अपने जज्बातों को

खुद में ही दफन कर लेंगे।


ये जज़्बात अनमोल है,

इन्हें और चोटिल नहीं करेंगे,

इन सभी परिस्थितियों 

का सामना कर 

इस वक्त से

बेफिक्र हो गुज़र लेंगे।

अपने अरमानों को जरा 

ज़मीन सी संजीदगी देंगे,

कुछ लम्हों को,

मुहब्बत से रुख मोड़ लेंगे,

हम भी उसे

छोड़ देंगे।



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