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Dr. Sarita Yadav

Fantasy

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Dr. Sarita Yadav

Fantasy

रात के सपने

रात के सपने

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रात आई सुबह ने ली अंगड़ाई

हमने कहा रात से आप क्यों आई आप आई ?

तो आवाज क्यों नहीं लगाई 


लेकिन रात की बेचैनी और 

दिन की तन्हाई को 

ना रात समझ पाई और

न सुबह ने आवाज लगाई 


सुबह ने कहा निकलो

सपनों की दुनिया से

क्योंकि रात तो है।


एक काली परछाई

सिलसिला चलता रहा !

देखते-देखते सपने खत्म हुए

रात फिर आई और सुबह ने फिर ली अंगड़ाई 


रात आती है और सुबह सपने

आंखों में सपने दिखा जाती है।


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