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Sunanda Aswal

Comedy Fantasy

4  

Sunanda Aswal

Comedy Fantasy

बृज में इलेक्शन

बृज में इलेक्शन

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नेताजी की पहन टोपी निकले थे श्याम,

राधा जी ढूंढन लागी, पूरे गोकुल धाम..!

बृज में सुना रहे भाषण सुबह हो या शाम,

गोपियां मंद हंसती, 'ओहो !जी घनश्याम..!'

बांसुरी को बना दिया, चुनावी निशान,

पूरे वादे कसमें दीं, प्रभु भक्ति नाम..!

बांसुरी पुकारे, पहुंचे बृजवासी निष्काम,

आते वृंदावन ,छोड़ निज सब काम.!

वोट तारीखें निश्चित हुई, प्रत्याशी लिए ठान,

जीते या हारें हमारे तो सदा नंद किशोर भगवान !

ज्यों ई.वी.एम. मशीन हुई थी जाम,

चकित अधिकारी देखे जब, जमानत दाम..!

इकतरफा वोट मिले, प्रत्याशी हुए हैरान,

ग्वाल बाल गिने, पूरे बैलेट थे श्याम नाम..!

विपक्षी बोला, " हे प्रभु ! मुझे ले लो दान",

असुर गण भयभीत हुए, समझे जो थे शान!

टोपी पहना भगत को पुजारी लेता दाम,

नेता टोपी की माया में, स्वार्थ सकल निज काम..!

टोपी कनेक्शन में लिप्त रहा, ऐसा बृज धाम,

करेप्शन यदि,फिक्स है तो क्या करैं लें भगवान ?



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