STORYMIRROR

Sunanda Aswal

Others

4  

Sunanda Aswal

Others

सूर्यास्त के बाद

सूर्यास्त के बाद

1 min
242


तरुण‌ई ढल बिंब क्षितिज अभिषेक है..!

क्षितिज व्योम पटल बिंदु अंकित एक है..!

डाल- डाल ,नीड़ -नीड़ ,गुंजन कलरव है..!

सांयकाल पंछी शिथिल आश्रय उनींद हैं..!

नव स्वप्न कल्पना ,अनभिज्ञ प्रातः से हैं..!

चाह मुठ्ठी भर पंख शून्य में फैलाने की है..!

रात की दहलीज में जिजीविषा लौटी है ..!

रसातल -धरातल चहुं दिश लाली छाई है .!

दिनकर समेट रहा प्रकाश पुंज दिव्य है ..!

धीरे-धीरे खटका रहा इंदू द्वार पर बैठा है ..!

तारिकाओं से सज रहा प्रांगण है ..!

विदाई पश्चात विषाद मुक्त स्वर्ग है ..!


Rate this content
Log in