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Rahulkumar Chaudhary

Tragedy Classics Fantasy

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Rahulkumar Chaudhary

Tragedy Classics Fantasy

बेईमान प्यार भरा दिल

बेईमान प्यार भरा दिल

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इस बार तुम हँसी बाटने निकले हो तो सुन लो

उसनें मेरी छीन ली तो क्या तुम उसका दामन 


भूल न जानाझूठे होते हैं वो लोग

जो कसमें हर बात पे देते हैं...


ज़रा देखिये ना आसमां तो वहीं है

बस हम बिखर गए..


गुनाहों का क्या उन्हें तो ढक दिया ख़ुदा तुनें

ये जो हर रोज़ गुज़ारनी है


वो जिंदगी अब जी नहीं जाती


पर्देदारी का सबब कुछ इस क़दर चढ़ा है उन्हें

हर बार अब वो मिलनें मना ही कर देते हैं


ठहर के देखा आज समय ठहर सा गया


बात ज़रा तबियत से हुई मौसम भी बेईमान बदल सा गया।


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