रंडी
रंडी
दो अक्षर का,
यह शब्द।
दो जिस्म के,
बीच बना।
क्यों ?
तिरस्कृत है होता।
इसमें किसकी,
होती है खता ।
किसी को,
नहीं होता पता ।
लेकिन यह,
प्रतिबंधित शब्द,
पुरुष के जुबा पर,
कैसे आ जाता ?
जिसका कारण भी,
तो वही है होता।
घर की चौखट को,
लांघकर वही तो,
होता है विवश।
सबसे पहले
विवस्त्र होकर,
करता प्रदर्शन
अपनी मर्दानगी का
उसके सामने
उसका तो मात्र,
अनचाहा साथ होता,
चाहत के विपरीत
चंद कुछ रुपये के बदले
फिर क्यों !
रख्खलन के बाद,
शब्द उभर आते,
जुबा पर "रंडी"
जो पहुंचाते ठेस
उसके सम्मान को
और गुंजते कानों में
गर्म तेल से,
रंडी.. रंडी... रंडी....
