दहेज़ दानव
दहेज़ दानव
समाज में व्याप्त दहेज ही दानव है
बेटियों की जान को खाये जा रहा है,
तय हुई शादियां टूट जाती है,
आई दहलीज पर बरातें लौट जाती है,
तरह-तरह के रोड़े अटकाती है,
जो माँ-बाप कर न सके सौदा दहेज का,
खेत बेचे-खलिहान बेचे और बिक गया मकां,
जिस बेटी को पाला बड़े प्यार से,
शादी के देखे सपने सुनहरे से,
कहते है ठग बड़े-बड़े दुल्हन ही दहेज है,
फिर कैसे बिक गया माँ-बाप का सब कुछ,
सूद को चुकाते-चुकाते
उम्र गुजर गई बचा ना कुछ,
फिर भी
समधी-समधन को कर न सका खुश,
वो तो धन के लालची नहीं बहु से खुश,&nbs
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कर्ज में डूबकर बाप
आखिर कर लेता आत्महत्या,
या फिर......!
कर दिया जाता है उस बेटी को आग के हवाले,
दहेज बना दानव आज
समाज में लिये रूप विकराल,
न समाज का डर न ही कानून का ख़ौफ़ है,
वो तो है बस धन-दौलत का ही भूखा है,
आज देखो इंसानियत खत्म हो चुकी है,
आज इंसान से बड़ा धन-दौलत हो चुका है,
दहेज के दानव से डर कर
न जाने कितनी घर बैठी बेटियां
दहेज नहीं होने के कारण
अपने घर में बैठी है बेटियां,
क्योंकि........?
धन-दौलत से दामन दहेज का वो भर न सके,
इसलिए बेटी के जन्म पर हो जाते है वो मायूस !!