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Piyosh Ggoel

Tragedy Others

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Piyosh Ggoel

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एक गरीब बुढ़िया

एक गरीब बुढ़िया

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फ़टे लिबास में व्यापारी का दरवाजा खटखटाकर

व्यापारी से बोली अपनी बात कुछ यूं कहकर

रोटी दे दो मुझको, दो दिनों से भूखी हूँ

आई हूं तुम्हारे पास, जन्मो से दुखी हूं

बेटे ने मुझको धिक्कारा है

बहु ने मुझको फटकारा है

उम्र के इस मोड़ पे

छोड़ दिए बेटे ने मुझको रोड पे

मेरे बुढ़ापे की लाठी तुम बन जाओ

देकर एक रोटी पुण्य तुम कमाओ

करो मेरी मदद, ईश्वर तुम्हारी मदद करेगा

झोली तुम्हारी खुशियों से भरेगा।

बुढ़िया की बाते सुनकर बोला व्यापारी

मैंने सुन ली तुम्हारी व्यथा कथा सारी

पर तुम मेरा समय कर रही हो बर्बाद

चली जाओ यहाँ से, फिर न आना मेरे पास

तुम जैसों को दे दूँगा, फिर मैं कैसे खाऊंगा

तुमको अगर दे दी भीख, तो मैं क्या कमाऊंगा

निकल जाओ मेरी दुकान से, दुबारा दिख न जाना

धन दे का समय अनमोल है मेरा, इसे मत गवाना ।

सुनकर व्यापारी की डांट, बुढ़िया हुई शर्मसार

मुंह छुपाकर चली गई, वो तो थी लाचार

पर हमारे समाज की क्या दशा हो गई

मानवता न जाने आज कहाँ खो गई



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