बंटवारा
बंटवारा
न था एहसास बचपन में
गुलशन हमारा बंट जाएगा
उम्र की सुनहरी यादें भी
दीवारों से पट जायेंगी
प्यार से सींचे फूलों को
मुंडेरों पर भी खिलते देखा
पेड़ों के ठंडे साये में बैठे
फलों को शाखों से झड़ते देखा
बचपन के मासूम रिश्तों में
"मेरा तेरा "अल्फाज न थे
जिंदगी के सफर की तपिश में
मुक़द्दस रिश्ते झुलस गये
खुश नुमा दिल का टुकड़ा
रिश्तों में तकसीम हुआ
उसपर बिखरी यादें भी
बंटवारे पर कुर्बान हुईं।
