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Arun Gode

Tragedy

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Arun Gode

Tragedy

अच्छे दिन.

अच्छे दिन.

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चुनाव के पहले नेताओं का था, 

अच्छे दिनों का आश्वासान.

बुरे दिनों के लिए था,

पिछ्ली सरकार का कारण.


ना कोई होती हैं अनहोनी,

ना कोइ अच्छा आंदोलन.

जनता को समझ में आया, 

भरोसा करना था एक पागलपण. 

 

ना कभी था ,ना हैं,ना रहेगा !,

आम आदमी के लिए विकास आंदोलन.

नेता करेंगें सिर्फ झुठे वादों का ऐलान,

छेडके आभासी विकास जन-अभियान.


राजनीति के बडे पेचिदे होते हैं द्रुष्टीकोन,

हर बात के लिए होते हैं हजारों कारण.

हर नेता की अपनी होती हैं उंची उडाण,

आपसी स्पर्धा से जनता होती हैं हालाकान. 


वो हमारे प्यारे देशनिष्ठ नेताओं,

अब तो खोलों अपनी गुंगी जुबान,

क्या कभी अच्छे दिनों का आयेगा सावन ?,

या झुठे जनवादों का ऐसाही रहेगां चलन.


नेताजी बडे चतुराई से बताते,

उन्हें चुनने का एकमात्र कारण.  

चुनाव जितने का सिर्फ नेता को जुनुन,

भोला मतदाता दिखाता अपना ईमान.


पता नहीं कब नेताजी का बदलेगां मन,

बिछ मझादार में छोडने का करे नेता ऐलान.

बिच राह में दम तोडेगा नेता।का वचन,

जन विकास आंदोलन का होगा मरण !.



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