सिर्फ दो आसन सिर्फ दो आसन
सीधा- सादा रहन -सहन खान -पान है, बेटी मेरी निश्चय ही गुणों की खान है। सीधा- सादा रहन -सहन खान -पान है, बेटी मेरी निश्चय ही गुणों की खान है।
प्रशंसा के चाटुकारी भ्रम का स्रृष्टा बन जाऊँ... प्रशंसा के चाटुकारी भ्रम का स्रृष्टा बन जाऊँ...
'जल रही सदभावना की, बेल बरगद पी रहे विष, शेष क्या आधार जिस पर, रात, दिन पलते निरामिष।' एक सुंदर प्रे... 'जल रही सदभावना की, बेल बरगद पी रहे विष, शेष क्या आधार जिस पर, रात, दिन पलते निर...
मैं पूरे आश्वासन के साथ ये कह सकती हूं मैं पूरे आश्वासन के साथ ये कह सकती हूं
तभी दूर पूर्व में, आकाश पे, एक छोटी सी लालिमा दिखी, तभी दूर पूर्व में, आकाश पे, एक छोटी सी लालिमा दिखी,