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Saraswati Aarya

Tragedy Inspirational

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Saraswati Aarya

Tragedy Inspirational

मैं जा रहा हूँ

मैं जा रहा हूँ

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ओ प्रिये

जहाँ मोहब्बत की सुगन्ध थी

आँखे बोलती थी

पर जुबां बंद थी

छोड़ हमारी तुम्हारी मुलाकाते जा रहा हूँ

मोहब्बत तुमसे निभायी

पर सीने में देश का दिल है

मैं जिंदा रहूँ न रहूँ गम नहीं

मेरे देश में महफ़िल है

एक परवाना बन

मैं देश की धुन गाते जा रहा हूँ

मैं जनता हूँ

तुम्हें मुझसे बहुत शिकायत है

तुम्हारा साथ छोड़ने वाला

मैं तुम्हारा गुनाहगार 

पर क्या करूँ? 

तुम्हारा मेरा साथ

इतना ही शायद है

कोई ऐसी सांस नहीं

जिसमें तुम्हारा नाम न हो

मैं तुम्हारी यादों को

सीने से लगाते जा रहा हूँ

ये अधूरा सफर जरूर है

पर है मेरा शरीर 

न मेरी आत्मा तुमसे दूर है

अगले जन्म जरूर मिलूँगा

मिलने की कसमें खाते जा रहा हूँ

तुम्हारे माथे की लाली हूँ

पर मैं देश का लाल हूँ

सिंदूर से पहले ममता का कर्ज 

चुकाते जा रहा हूँ ।



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