नौकरी
नौकरी
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प्रवास मैंने महज दस दिनों का
दिल्ली में लिया
अपनी जीविका चलाने को,
रवैया मुझे पसंद नहीं आया
बिहारियों के प्रति।
तब मैंने निर्णय लिया कि
मुझे नौकरी यहां नहीं करनी
कहीं नहीं करनी।
अपने राज्य में ही मुझे है रहना
और फिर मेरा वो निर्णय
वाकई कमाल कर गया
शुरुआत छोटी थी पर
आज ये बिहार सब दे गया
सात साल पहले,
चार हजार की नौकरी से
शुरू किया सफर
आज दो बच्चो की परवरिश के साथ
रहने को छत, यही बिहार दे गया।